Kabir Das Ke Dohe | संत कबीर दास जी के दोहे

June 19, 2024
Written By Urvashi

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संत कबीर दास जी के दोहे : आप सभी को पता ही होगा की संत कबीर दास जी कवि के साथ साथ एक रहस्यवादी व्यक्तित्व के संत थे। कबीर दास जी का जन्म 1398 ई.सा. में हुआ था ,मान्यताओं के अनुसार इनका जन्म हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह के पुर्णीमा के दिन हुआ था। इसीलिए संत कबीर साहेब जन्मोउत्सव या कबीर दास जन्मदिवस मनाया जाता है |

संत  कबीर दास जी निरक्षर यानि पढ़े-लिखे नहीं थे , फिर भी इनकी कविताये मन को मोह ले वाली है। हमने ऐसे महान कवी के कुछ दोहे आप लोगो के लिए प्रस्तुत है। 

Kabir Das Ke Dohe

“माटी के पुतले तुझे कितना, घमंड आंधा करें।
नीचा ना ढांपे रखिये, ऊपर जमाना करें॥”

“जो तू सोचेसो ऐसा कोई काम नहीं, जो तू कहेसो ऐसा कोई बात नहीं।
जो तू मानेसो ऐसा कोई दिन नहीं, कह कबीर सुनो भगति की मत बांधे॥”

“कबीरा जिनका नाम बोलो, उन्ही का आचार करें।
उनकी जीत होती है, पराजय का तार करें॥”

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Kabir Das ji ke Dohe in Hindi

“चिंता अग्नि को जलाती है, आप दया बूझाते।
काट लेते जो चिंता को, वो चिंता भी मिटाते॥”

“दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करें न कोय।
जो सुख में सुमिरन करें, दुख काहे को होय॥”

“जाति पूछते नीउर ते, सब कौन ढेले हंस।
आपन भलो नीचे के, नीचां को उच कंस॥”

“माया तजि तुझी माया अगाधी, चार खाने ताप।
मान सोच देवां बैठे, अगाधी अपार अप॥”

Famous Kabir Das Dohe With Meaning

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥”

“राम नाम लीन तू दिल को, आनंद उठे सब काय।
राम नाम लीन तू दिल को, दुख दूख ना विसराय॥”

“गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो बताय॥”

“माटी के पुतले तुझे कितना, घमंड आंधा करें।
नीचा ना ढांपे रखिये, ऊपर जमाना करें॥”

“जो तू सोचेसो ऐसा कोई काम नहीं, जो तू कहेसो ऐसा कोई बात नहीं।
जो तू मानेसो ऐसा कोई दिन नहीं, कह कबीर सुनो भगति की मत बांधे॥”

“कबीरा जिनका नाम बोलो, उन्ही का आचार करें।
उनकी जीत होती है, पराजय का तार करें॥”

“चिंता अग्नि को जलाती है, आप दया बूझाते।
काट लेते जो चिंता को, वो चिंता भी मिटाते॥”

Kabir Das Ji Ke Dohe

“दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करें न कोय।
जो सुख में सुमिरन करें, दुख काहे को होय॥”

“जाति पूछते नीउर ते, सब कौन ढेले हंस।
आपन भलो नीचे के, नीचां को उच कंस॥”

“गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो बताय॥”

“माया तजि तुझी माया अगाधी, चार खाने ताप।
मान सोच देवां बैठे, अगाधी अपार अप॥”

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥”

“राम नाम लीन तू दिल को, आनंद उठे सब काय।
राम नाम लीन तू दिल को, दुख दूख ना विसराय॥”

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥”

Kabir Das In Hindi

“अंधकोउ कानों देहूँ देनूँ, ग्यानी बही बूझै।
दोऊ नैन चाहीये, आनहीन कोउ सूझै॥”

“पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥”

  • “जहाँ तक देखूं तहाँ तक, जहाँ तक बन्द चहैं।
    काहे फूल फूल करत फिरौं, जहाँ तक जित उठैं॥”
  • “जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहीं।
    सब अंधे घूम रहे जग में, यह तत्त्व नहीं भाई॥”
  • “एक दिना का बड़ा खाता, दूजे दिना का साठ।
    तीसरे दिन के लगते जटके, मिटे न सब करट।।”
  • “होली खेले रघुवीरा, खिलाए चर खाय।
    तन मन धन सब जीवन की, एक रंग में रंग जाय॥”
  • “सतगुरु कहे बड़ा जानीये, ऐसा दूजा नहीं कोय।
    जीवन मूला निर्मला, अति लोगा निर्धोय॥”

Kabir Das Images

  • “जो सत्य को कहते सच्चा है, जो मित्थ्या कहते उच।
    जो चर चहैं आचरज में, कोटि चहैं आवण उच॥”
  • “जग कहें धागा तू तोड़ निरंजन, तू रहत भटक भाइ।
    दूसर ना देखि अवगुन सब, कहैं कबीर सुनो भाई॥”
  • “सब धरती का आकर्षण रूप, सब कछु वासा अधार।
    मुनि सबै तिरथ बरह्मन्द का, तो कहें कबीर अपार॥”
  • “जो तुमको पास बुलाए, मेरा तू ही सोच समझ।
    काहे फिरे, घूमे फिरे, तू ही राह दिखाए॥”
  • “मोहे अधिक जानत कोउ, जगत छोड़ व्यापे।
    बड़ा भला नाम भला, मेरी नाहीं प्रीति बढ़े॥”
  • “जो जाना सो जाने, जो जबाना सो बूझै।
    सब रहत भरोसा में, तो कबीर का आदेस नहीं॥”
  • “जग में उत्पन्न कोई नहीं, आप निराला है।
    संसार संग सब खेलों में, तुम सोई हाला है॥”

Kabir Das Dohe

  • “माया बढ़ी अंधकारी, चलत तात अन्ध भ्रम।
    जो ज्ञानी देखे नर हरि, सोई जगतरंग॥”
  • “जाती जन्म न पूछो तारी, श्री राम पियारी।
    हैंसत हैंसत जग खेलों, यह तत्त्व कबीरी॥”
  • “मानस जन्म अमोल बर बाड़ी, नाम नहीं निराम।
    पंथ जगत नहीं प्रेम का, पंथ जगत बिखाम॥”
  • “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
    ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥”

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  • “हम जब सीता राम को चाहिए, तो सब धौंस ढोय।
    तुम चाहत हो राम भाइया, तो राम नहीं होय॥”
  • “ज्ञानी जोगी ज्ञान के अंधेरे में, आचरज सब संभाव।
    कहीं निज घट धीरज बनी, तेहीं पंडित सोंच जाव॥”
  • “जहां हवा हैं वहीं आग, जहां पानी वहीं तेल।
    जो खांचे सो तोट जावे, वहीं ही मेरा मेल॥”

Famous Kabir Das Dohe

  • “माया मरी न चरनी चरैं, मारी न खाक जोइ।
    मारे सो मरे ना मन हैंसैं, यह तत्त्व कबीरी॥”
  • “जो बिन रहें ना अंधेर नींद, जो बिन रहें ना रैन।
    ऐसी सतगुरु मोहि नियारी, कह कबीर समझाएं॥”
  • “ज्ञान जोगी ज्ञान के अंधेरे में, सब बाँध कर धर्म।
    जो ज्ञान देखै निज नवीन भूप, तेहीं कहैं कबीर सच्चा श्री राम॥”
  • “हारी अंधकारी बसे मन, ज्ञान जोग विचार।
    जो ज्ञानी जाने नवीनता, सो ज्ञानी सत्य धार॥”
  • “आगे गगन विचार, बरसत करत तार।
    मोह बूझै जगत बांधै, नहीं छोड़ै किनार॥”
  • “जो कबीर भजे सो उच्च, जो कबीर भजे नीच।
    उदार न बिना ज्ञान के, जब सब दूरि दिखाए बीच॥”
  • “माया ले गई जानत सब रासा, मोह ले गया मन।
    जो कुछ दिन खोया रे, सो जगत मांहि खोय॥”
  • “जो सुख ना हो साहिब संग, जो आस लगावै दूर।
    कहे कबीर अग्यानी भाइया, जगत जानै सब छूर॥”
  • “अंधेरा घना राखा, काल पड़ा रैन।
    मोह बूझै न जगत बाँधै, छुटै न उड़ि जान॥”
  • “अवगुन न देखिये दोस्ती, आपुँ न सहाई अधार।
    माया माधो लोभी का, बहुरि न साथ निरार॥”
  • “जब तक मैं रहा नहीं हूँ, जब तक मैं सोय।
    यह जगत देखन आई ना, कबीर यह जग रोय॥”
  • “अपने घर में निराला, बाहरी जगत हाय।
    कहें कबीर समझावें, गई न बहुरि माय॥”
  • “जगत न देखिये जानत नहीं, चांद सूरज नाहीं।
    मोहिं अपना खोवटि गई, छुटी न जगत राही॥”
  • “हारी अज्ञानी जीवन बिताये, मोह उपजै कपट।
    सोई ज्ञानी सतगुरु कहैं, बूझे सत्य जोगी निरपट॥”
  • “गई उड़ि जावै यह जग दीप, जले न अंधकारी।
    आपै आपि जली आप, कह कबीर कवन दारी॥”
  • “जो नींद न आवत ब्रह्म, जो सोवत अंध।
    तुम सोवत हो विरवर भाई, तुम सोवत जगंध॥”
  • “अंधेर जो देखैं सूर।
    अंधा सो निराल॥”
  • “जो सूख दुख में नहीं रहैं, जो मालूम होय।
    कहे कबीर अग्यानी भाईया, तो सोई सत्य सोय॥”

कबीर दास जी का जीवन और उनकी वाणी हमें सिखाती हैं, कि सच्ची भक्ति और प्रेम का मार्ग किसी विशेष पूजा-पद्धति या धार्मिक आडंबर से नहीं, बल्कि सच्चे मन और निष्कपट भावना से होता है। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी हमारे जीवन में प्रकाश और प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

उनकी वाणी सदा हमें सत्य, प्रेम, और एकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेगी। आप सभी को संत कबीर दास जी के दोहे हमारे द्वारा आप सभी के लिए लाए है । आप उन सभी दोहे का अनुसरण करके अपने जीवन मे अपनाने से अनेकों प्रकार के लाभ हो सकते है । यदि आप सभी को दोहे अच्छे लगे है तो आप अपने प्रियजनों के साथ शेयर कर सकते है ।

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