संत कबीर दास जी के दोहे : आप सभी को पता ही होगा की संत कबीर दास जी कवि के साथ साथ एक रहस्यवादी व्यक्तित्व के संत थे। कबीर दास जी का जन्म 1398 ई.सा. में हुआ था ,मान्यताओं के अनुसार इनका जन्म हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह के पुर्णीमा के दिन हुआ था। इसीलिए संत कबीर साहेब जन्मोउत्सव या कबीर दास जन्मदिवस मनाया जाता है |
संत कबीर दास जी निरक्षर यानि पढ़े-लिखे नहीं थे , फिर भी इनकी कविताये मन को मोह ले वाली है। हमने ऐसे महान कवी के कुछ दोहे आप लोगो के लिए प्रस्तुत है।
Kabir Das Ke Dohe
“माटी के पुतले तुझे कितना, घमंड आंधा करें।
नीचा ना ढांपे रखिये, ऊपर जमाना करें॥”
-Kabir Das Ji
“जो तू सोचेसो ऐसा कोई काम नहीं, जो तू कहेसो ऐसा कोई बात नहीं।
जो तू मानेसो ऐसा कोई दिन नहीं, कह कबीर सुनो भगति की मत बांधे॥”
जो ज्ञान देखै निज नवीन भूप, तेहीं कहैं कबीर सच्चा श्री राम॥”
– Sant Kabir das Ji
“हारी अंधकारी बसे मन, ज्ञान जोग विचार।
जो ज्ञानी जाने नवीनता, सो ज्ञानी सत्य धार॥”
“आगे गगन विचार, बरसत करत तार।
मोह बूझै जगत बांधै, नहीं छोड़ै किनार॥”
“जो कबीर भजे सो उच्च, जो कबीर भजे नीच।
उदार न बिना ज्ञान के, जब सब दूरि दिखाए बीच॥”
“माया ले गई जानत सब रासा, मोह ले गया मन।
जो कुछ दिन खोया रे, सो जगत मांहि खोय॥”
– Sant Kabir das Ji
“जो सुख ना हो साहिब संग, जो आस लगावै दूर।
कहे कबीर अग्यानी भाइया, जगत जानै सब छूर॥”
“अंधेरा घना राखा, काल पड़ा रैन।
मोह बूझै न जगत बाँधै, छुटै न उड़ि जान॥”
– Sant Kabir das Ji
“अवगुन न देखिये दोस्ती, आपुँ न सहाई अधार।
माया माधो लोभी का, बहुरि न साथ निरार॥”
“जब तक मैं रहा नहीं हूँ, जब तक मैं सोय।
यह जगत देखन आई ना, कबीर यह जग रोय॥”
– Sant Kabir das Ji
“अपने घर में निराला, बाहरी जगत हाय।
कहें कबीर समझावें, गई न बहुरि माय॥”
“जगत न देखिये जानत नहीं, चांद सूरज नाहीं।
मोहिं अपना खोवटि गई, छुटी न जगत राही॥”
– Sant Kabir das Ji
“हारी अज्ञानी जीवन बिताये, मोह उपजै कपट।
सोई ज्ञानी सतगुरु कहैं, बूझे सत्य जोगी निरपट॥”
– Sant Kabir das Ji
“गई उड़ि जावै यह जग दीप, जले न अंधकारी।
आपै आपि जली आप, कह कबीर कवन दारी॥”
“जो नींद न आवत ब्रह्म, जो सोवत अंध।
तुम सोवत हो विरवर भाई, तुम सोवत जगंध॥”
– Sant Kabir das Ji
“अंधेर जो देखैं सूर।
अंधा सो निराल॥”
“जो सूख दुख में नहीं रहैं, जो मालूम होय।
कहे कबीर अग्यानी भाईया, तो सोई सत्य सोय॥”
– Sant Kabir das Ji
कबीर दास जी का जीवन और उनकी वाणी हमें सिखाती हैं, कि सच्ची भक्ति और प्रेम का मार्ग किसी विशेष पूजा-पद्धति या धार्मिक आडंबर से नहीं, बल्कि सच्चे मन और निष्कपट भावना से होता है। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी हमारे जीवन में प्रकाश और प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
उनकी वाणी सदा हमें सत्य, प्रेम, और एकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेगी। आप सभी को संत कबीर दास जी के दोहे हमारे द्वारा आप सभी के लिए लाए है । आप उन सभी दोहे का अनुसरण करके अपने जीवन मे अपनाने से अनेकों प्रकार के लाभ हो सकते है । यदि आप सभी को दोहे अच्छे लगे है तो आप अपने प्रियजनों के साथ शेयर कर सकते है ।
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